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धूप फिर खिलेगी

क्या हुआ जो आज घर में बैठे है कल आजादी से हम फिर घूमेंगे, आज कोरॉना का अंधकार तो है कल मगर खुशबू के फूल फिर खिलेंगे। आज सालों बाद मिला है ये मौका की हम परिवार के साथ बैठे है, बचपन के वो कार्यक्रम और इश्तहार फिर से आज टीवी पर दिख रहे है। व्यस्त जीवन से कुछ पल मिले है आज जी लो इन्हे जी भर के कल फिर से लगोगे भागने जीवन चक्र में कमाने को पैसे। बच्चो के साथ बच्चे बन जाओ निकालो अपने खेल पुराने बच्चो को भी दिखाओ मोबाइल बिना हमारे ज़माने। बड़ो को भी कर लो शामिल भुला दो उम्र के भेद अब सारे खेल खेल में निकलवा लो उनसे उनकी शैतानियों के किस्से न्यारे। आज ना गरीब ना कोई आमिर है सब के लिए कानून ये एक है हार नहीं मानेंगे हम इस वायरस से लड़ेंगे इससे और हरा कर इसे हम जीतेंगे।।

अरमान

रात के अंधेरे में भी मेरे मन में जागे आज कुछ अरमान  सोचा कर लूं पूरा इन्हे और पा लूं मैं ये पूरा जहान। दिल मेरा आज मचला है क्यों बन कर एक मासूम  टीस उठी क्यों दुनिया के सीने में बन कर एक नासूर। सीने में मेरे भी दिल है और उसमें छुपा कुछ बचपन क्या हो गया ऐसा जो मन आज मेरा गया कुछ मचल। मन किया आज फिर बच्चा बन घूम आऊ मैं कहीं बचपन की उन ख्वाइशों को फिर जी जाऊ आज यही। क्या उमर बढ़ जाने से खत्म कर दू मैं अपने सभी अरमान और बन जाने दू खुद को मैं बस एक मूरत अनजान- बेजान। रिंकी १४/७/२०१९ १२:४० am

मेरे भगवान्

सुना है भगवान् बस्ते है मंदिर में, पर मैंने तो देखे है अपने ही घर में। वहां तो बस एक बेजुबान मूरत है ये जीते हर रोज़ हमारी आंखों में।। उससे तो मांगना पड़ता है हर डगर पर, ये लेकिन खड़े रहते बिन मांगे हर मोड़ पर। उस तक तो पहुंचनी पड़ती है अपनी अर्जी, ये समझ जाते हर आरज़ू कहे बिना पर।। ये है बढ़कर मेरे लिए उस भगवान् से भी, उसे तो देखा नहीं मैंने कहीं भी कभी भी। ये हर रोज़ दिखते है मुझे सुबह शाम, कैसे उतार पाऊंगी आपका ये उपकार भी।। रखा है इन्होंने हम पर हमेशा विश्वास ही, और पहुंचाया हर दम नई उचाईयो पर ही। अब फ़र्ज़ हमें भी अपना है निभाना, रखना खयाल इनका और देना साथ हमेशा ही।। रिंकी २५-२-२०१९ १०:२५ 

राखी

आज फिर आई है राखी ले कर भाई बहन का प्यार, भूल कर सब लड़ाई झगड़ा मनाओ मिल कर ये त्यौहार। बहन जताए है अपना प्यार बांध कर एक रेशम की डोर, भाई तू कभी भूल ना जाना बहन हर वक़्त देखे तेरी ओर। त्यौहार नहीं ये सिर्फ भाई बहन का मनाते है इसे और भी कई रिश्ते, फिर हो वो चाहे ननद - भाभी या हो मौसी- भांजे या बुआ- भतेजे। इस खुशी पर भी ना जाने क्यों मन मेरा अभी भी है उदास, ना कोई भाई बांधने को राखी ना ऐसी ननद जिससे हो मुझे कोई आस। इस उदासी में भी मन मेरा है शांत क्यों की ना है कोई बंदिश मुझ पर, ना करने वाला कोई मुझसे आस और ना ठहरा सकता कोई मुझे ज़िमेदार। रिंकी २६/८/२०१८

झूठी मां

आज उसने एक मां पर इल्ज़ाम लगाया है बच्चे को झूठ बोलना सिखाती ये कह गया है। क्या कोई मां बच्चे को गलत सिखाती है मां तो हमेशा बच्चे का अच्छा ही चाहती है। फिर क्यों ज़माना मां को गुनेहगार कहता है वो तो बच्चे के हर झूठ को खुद पकड़ लेती है। मां तो हर बच्चे की पहली शिक्षिका होती है फिर कैसे माना कि उसने गलत पाठ पढ़ाया है। हर गलत कदम पर टोकने वाली मां ही तो है कुछ भी गुनाह करने से रोकने वाली मां ही है। क्या मां ने तेरी तुझे कुछ गलत सिखाया है फिर कैसे तूने आज इस मां पर इल्ज़ाम लगाया है। रिंकी अगस्त ३, २०१८ ९:००

पुराने ज़ख्म

फिर कोई हमारे दिल के तारों को इस कदर हिला गया कि हमारा हर पुराना ज़खम आज फिर हरा हो गया। जो भुला दी थी बाते हमने मान कर काली रात आज फिर याद दिला दी उसने हर वो बीती बात। भुला दी थी अपने दिल की हर एक तकलीफ हमने मना लिया था मन को कि वक़्त अपना ही था खराब। ज़ुल्म जो भी किए ज़माने ने सब हमने दिए थे भुला पर आज फिर कोई अनजाना अपनो से कर गया जुदा। बड़ी मुश्किल से ज़िन्दगी को पटरी पर लाए थे हम फिर उसने हमारे जीवन के डिब्बे हिला दिए सब। ना जाने बदनामी का ये सिलसिला कब थमेगा क्या किसी दिन नाम मेरा भी इस दुनिया में बनेगा। ये बेइज्जती सहते सहते ही ना ये उम्र निकाल जाए सुनने को प्यार के दो शब्द मेरे कान ही तरस जाए। इसी इंतजार में ना आखरी शाम भी ढल जाए और इंतजार में मेरी ये सांसे भी यू ही कभी थम जाए...... रिंकी जुलाई २१, २०१८ ००:३९
आज मन मेरा कुछ उदास सा है न जाने क्यों यह अहसास आज है। हम तो दिल खोल कर रख देते हैं पर पता नहीं वो क्यों अनजान सा है।। क्यों नहीं वो हमें अपना मान पाये या फिर अब भी सब बेगाना सा है। हमने तो सौंप दिया खुद को उन्हें फिर क्यों सब बदहाल सा है।। सोचती हूं नहीं बांटूगी अपना फ़लसफ़ा पर बिन कहे उनसे मन मानता नहीं है। सुना ना दूं जब तक उन्हें बात सभी दिल हमारा रहता बदहाल सा है। क्या जीत पायेंगे कभी दिल तेरा हम या रहेंगे हमेशा तुमसे बेगाने ही। अब तो बीता दिए हमने ज़माने कई ये दिल दिल से फिर भी अनजान सा है।। रिंकी १/६/२०१८