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धूप फिर खिलेगी

क्या हुआ जो आज घर में बैठे है कल आजादी से हम फिर घूमेंगे, आज कोरॉना का अंधकार तो है कल मगर खुशबू के फूल फिर खिलेंगे। आज सालों बाद मिला है ये मौका की हम परिवार के साथ बैठे है, बचपन के वो कार्यक्रम और इश्तहार फिर से आज टीवी पर दिख रहे है। व्यस्त जीवन से कुछ पल मिले है आज जी लो इन्हे जी भर के कल फिर से लगोगे भागने जीवन चक्र में कमाने को पैसे। बच्चो के साथ बच्चे बन जाओ निकालो अपने खेल पुराने बच्चो को भी दिखाओ मोबाइल बिना हमारे ज़माने। बड़ो को भी कर लो शामिल भुला दो उम्र के भेद अब सारे खेल खेल में निकलवा लो उनसे उनकी शैतानियों के किस्से न्यारे। आज ना गरीब ना कोई आमिर है सब के लिए कानून ये एक है हार नहीं मानेंगे हम इस वायरस से लड़ेंगे इससे और हरा कर इसे हम जीतेंगे।।