Posts

Showing posts from June, 2018
आज मन मेरा कुछ उदास सा है न जाने क्यों यह अहसास आज है। हम तो दिल खोल कर रख देते हैं पर पता नहीं वो क्यों अनजान सा है।। क्यों नहीं वो हमें अपना मान पाये या फिर अब भी सब बेगाना सा है। हमने तो सौंप दिया खुद को उन्हें फिर क्यों सब बदहाल सा है।। सोचती हूं नहीं बांटूगी अपना फ़लसफ़ा पर बिन कहे उनसे मन मानता नहीं है। सुना ना दूं जब तक उन्हें बात सभी दिल हमारा रहता बदहाल सा है। क्या जीत पायेंगे कभी दिल तेरा हम या रहेंगे हमेशा तुमसे बेगाने ही। अब तो बीता दिए हमने ज़माने कई ये दिल दिल से फिर भी अनजान सा है।। रिंकी १/६/२०१८