मेरे भगवान्
सुना है भगवान् बस्ते है मंदिर में, पर मैंने तो देखे है अपने ही घर में। वहां तो बस एक बेजुबान मूरत है ये जीते हर रोज़ हमारी आंखों में।। उससे तो मांगना पड़ता है हर डगर पर, ये लेकिन खड़े रहते बिन मांगे हर मोड़ पर। उस तक तो पहुंचनी पड़ती है अपनी अर्जी, ये समझ जाते हर आरज़ू कहे बिना पर।। ये है बढ़कर मेरे लिए उस भगवान् से भी, उसे तो देखा नहीं मैंने कहीं भी कभी भी। ये हर रोज़ दिखते है मुझे सुबह शाम, कैसे उतार पाऊंगी आपका ये उपकार भी।। रखा है इन्होंने हम पर हमेशा विश्वास ही, और पहुंचाया हर दम नई उचाईयो पर ही। अब फ़र्ज़ हमें भी अपना है निभाना, रखना खयाल इनका और देना साथ हमेशा ही।। रिंकी २५-२-२०१९ १०:२५