अरमान
रात के अंधेरे में भी मेरे मन में जागे आज कुछ अरमान सोचा कर लूं पूरा इन्हे और पा लूं मैं ये पूरा जहान। दिल मेरा आज मचला है क्यों बन कर एक मासूम टीस उठी क्यों दुनिया के सीने में बन कर एक नासूर। सीने में मेरे भी दिल है और उसमें छुपा कुछ बचपन क्या हो गया ऐसा जो मन आज मेरा गया कुछ मचल। मन किया आज फिर बच्चा बन घूम आऊ मैं कहीं बचपन की उन ख्वाइशों को फिर जी जाऊ आज यही। क्या उमर बढ़ जाने से खत्म कर दू मैं अपने सभी अरमान और बन जाने दू खुद को मैं बस एक मूरत अनजान- बेजान। रिंकी १४/७/२०१९ १२:४० am