Posts

Showing posts from August, 2018

राखी

आज फिर आई है राखी ले कर भाई बहन का प्यार, भूल कर सब लड़ाई झगड़ा मनाओ मिल कर ये त्यौहार। बहन जताए है अपना प्यार बांध कर एक रेशम की डोर, भाई तू कभी भूल ना जाना बहन हर वक़्त देखे तेरी ओर। त्यौहार नहीं ये सिर्फ भाई बहन का मनाते है इसे और भी कई रिश्ते, फिर हो वो चाहे ननद - भाभी या हो मौसी- भांजे या बुआ- भतेजे। इस खुशी पर भी ना जाने क्यों मन मेरा अभी भी है उदास, ना कोई भाई बांधने को राखी ना ऐसी ननद जिससे हो मुझे कोई आस। इस उदासी में भी मन मेरा है शांत क्यों की ना है कोई बंदिश मुझ पर, ना करने वाला कोई मुझसे आस और ना ठहरा सकता कोई मुझे ज़िमेदार। रिंकी २६/८/२०१८

झूठी मां

आज उसने एक मां पर इल्ज़ाम लगाया है बच्चे को झूठ बोलना सिखाती ये कह गया है। क्या कोई मां बच्चे को गलत सिखाती है मां तो हमेशा बच्चे का अच्छा ही चाहती है। फिर क्यों ज़माना मां को गुनेहगार कहता है वो तो बच्चे के हर झूठ को खुद पकड़ लेती है। मां तो हर बच्चे की पहली शिक्षिका होती है फिर कैसे माना कि उसने गलत पाठ पढ़ाया है। हर गलत कदम पर टोकने वाली मां ही तो है कुछ भी गुनाह करने से रोकने वाली मां ही है। क्या मां ने तेरी तुझे कुछ गलत सिखाया है फिर कैसे तूने आज इस मां पर इल्ज़ाम लगाया है। रिंकी अगस्त ३, २०१८ ९:००