राखी
आज फिर आई है राखी ले कर भाई बहन का प्यार, भूल कर सब लड़ाई झगड़ा मनाओ मिल कर ये त्यौहार। बहन जताए है अपना प्यार बांध कर एक रेशम की डोर, भाई तू कभी भूल ना जाना बहन हर वक़्त देखे तेरी ओर। त्यौहार नहीं ये सिर्फ भाई बहन का मनाते है इसे और भी कई रिश्ते, फिर हो वो चाहे ननद - भाभी या हो मौसी- भांजे या बुआ- भतेजे। इस खुशी पर भी ना जाने क्यों मन मेरा अभी भी है उदास, ना कोई भाई बांधने को राखी ना ऐसी ननद जिससे हो मुझे कोई आस। इस उदासी में भी मन मेरा है शांत क्यों की ना है कोई बंदिश मुझ पर, ना करने वाला कोई मुझसे आस और ना ठहरा सकता कोई मुझे ज़िमेदार। रिंकी २६/८/२०१८